क्लाइमेट चेंज का असर पृथ्वी के चेहरे को बदल रहा है, और इसका एक चौंकाने वाला उदाहरण नासा ने तस्वीर के माध्यम से दिखाया है। कुछ ही सालों में एक पूरा समुद्र धरती से गायब हो रहा है! क्या आप इसे विश्वास करेंगे? हाँ, यह सच है! जनवरी 2024 को लगातार दूसरा महीना बताया गया है जब ग्लोबल टेम्परेचर आम औसत से अधिक हो रहा है। यह न केवल 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक है, बल्कि इसने ग्लोबल औसत तापमान को 1.5 डिग्री के थ्रेशहोल्ड से भी ऊपर ले जाया है। 1.5 डिग्री वह सीमा है जिससे ऊपर जाने पर धरती के लिए अधिक हानिकारक परिणाम हो सकते हैं।
ग्लोबल वार्मिंग से पृथ्वी को कितना नुकसान हो सकता है, इसका अंदाजा नासा के द्वारा शेयर की गई एक फोटो से लगा सकते हैं। कजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान के बीच कभी एक सागर था, जिसका नाम अरल सागर था। यह समुद्र 68 हजार स्क्वेयर किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ था। यह दुनिया की चौथी सबसे बड़ी जलीय शरीर थी जो चारों ओर से जल से घिरी थी। लेकिन यह 2010 तक पूरी तरह सूख गया! NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, यह 1960 में पानी भरने वाली नदियों के मोड़ने के बाद सूखना शुरू हुआ था।
नासा की Earth Observatory ने अरल सागर के संबंध में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की है। जिसके अनुसार, 1960 में सोवियत संघ ने सिंचाई के लिए इस क्षेत्र में दो बड़ी नदियों- सिर दरिया और अमु दरिया को मोड़ दिया था, ताकि मरुस्थल में बनाए गए कपास के खेतों और अन्य फसलों को पानी दिया जा सके। इसके बाद से अरल सागर की सतह धीरे-धीरे सूख गई।
Encyclopaedia Britannica के अनुसार, लगभग 26 लाख साल पहले अरल सागर बना था जब दोनों नदियों ने अपने प्रवाह का रास्ता बदल दिया था। जब सागर अपने पूरे आकार में था, तो यह उत्तर से दक्षिण दिशा में 435 किलोमीटर फैला हुआ था, और पूर्व से पश्चिम में 290 किलोमीटर के दायरे में फैला था। सिंचाई परियोजना के आते ही सागर सूखना शुरू हो गया, और इसका सारा पानी भाप बनकर उड़ गया। इस पुराने पानी के स्रोत को बचाने के लिए कजाकिस्तान ने अंतिम प्रयास किया, लेकिन पूरे सागर को पानी से नहीं भर सका। अब इसके छोटे से हिस्से में ही पानी दिखाई देता है।
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