स्मार्टफोन कम्पनीज आपको बनती है पागल: स्मार्ट-फोन कंपनीज कस्टमर को ठगने का कोई तरीका नहीं छोड़ती। आज हम इसी बारे मे आपको बताएँगे कि क्या है वो तरीके जिनसे ना चाहते हुए भी स्मार्ट-फोन कंपनीज आपको बेवकूफ़ बना देती है।
स्मार्टफोन कंपनीज का मुख्य उद्देश्य आपकी जेब से ज्यादा से ज्यादा पैसा निकालना होता है। इसके लिए वह अपने फोन मे ऐसे फीचर्स भी दल देती है जिनका वास्तविक जीवन मे कोई भी महत्तव नहीं होता है। ऐसे ही 7 फीचर्स मै आपको बताने जा रहा हूँ।
4K डिस्प्ले
स्मार्टफोन मार्केट मे इस चीज की बहुत हाइप बनाई जाती है, कि इस फोन मे QHD डिस्प्ले है या 4K डिस्प्ले है। आप भी सोच रहे होंगे कि ज्यादा रेजोलुशन मतलब बैटर डिस्प्ले, जी नहीं। स्मार्टफोन की डिस्प्ले अधिकतम 7 इंच की होती है, और उसके लिए 2K डिस्प्ले बहुत होती है।
अगर आप एक बहुत ही ज्यादा टेक एन्थूजियास्त नहीं है तो आप एक फोन की सेम साइज़ की 2K और 4K डिस्प्ले मे अंतर नहीं बता सकते। तो फिर क्या फायदा 4K या QHD डिस्प्ले के नाम पे फोन कंपनीज को अधिक पैसे देना।
एक 4K डिस्प्ले वाले फोन की जगह आप एक अच्छे प्रॉसेसर या अच्छे कैमरा वाला फोन प्रेफर करे, वो आपको अधिक वैल्यू प्रोवाइड करेगा।
अधिक मेगा-पिक्सेल वाला कैमरा
यह तरीका 2022 तक जोरों-शोरों से चल रहा था। खूब कस्टमर इस तरीके से बहकाए गए, कि इस सेगमेंट मे बाकी फोन 13MP का कैमरा दे रहे है लेकिन हम आपको दे रहे है 48MP का कैमरा, जबकि दोनों कि पिक्चर क्वालिटी मे कोई खास फर्क नहीं था।
2023 मे लोगो मे इसके बारे मे थोड़ी अवेरनेस आई है, लेकिन अब भी यह तरीका यूज किया जा रहा है। आज भी फोन मे 108MP के कैमरा आ रहे है, लेकिन उनकी पिक्चर क्वालिटी एक अच्छे 12MP के कैमरा वाले फोन के बराबर भी नहीं।
रिफ्रेश रेट
यह तरीका 2023 मे बहुत यूज किया जा रहा है – 120Hz, 144Hz. आपको एक बात का पता होना चाहिए कि ज्यादा रिफ्रेश रेट का मतलब अधिक बैटरी कंजंप्शन, इसीलिए अगर आप एक नॉर्मल यूजर है तो आप उसे 90Hz या फिर 60Hz पर ही रखोंगे नहीं तो फोन की बैटरी बहुत जल्दी ड्रेन होगी।
इसीलिए अच्छा यही है कि आप 90Hz से अधिक रिफ्रेश रेट वाली डिस्प्ले वाले फोन की जगह एक अच्छे प्रॉसेसर वाला फोन ही प्रेफर करे। या फिर मान लीजिये आपके पास दो ऑप्शन है एक – 90Hz Amoled डिस्प्ले और दूसरा 120Hz IPS डिस्प्ले।
इसमे आपको पहला ऑप्शन प्रेफर करना चाहिए क्योंकि ऐमोलेड मे आपको अच्छे कलर और ज्यादा ब्राइटनेस मिलेगी। और अगर आप 120Hz IPS लेते हो तो वहाँ आपकी बैटरी अधिक खर्च होगी कलर अच्छे नहीं होंगे और डिस्प्ले कि ब्राइटनेस भी कम होगी।
एनएफ़सी (NFC)
यह भी बहुत हाइप वाला फीचर लेकिन अगर आप एक नॉर्मल यूजर हो तो हो सकता है कि आपको इसका मतलब भी न पता हो और आप इसे कभी यूज भी न करे।
हालांकि यह एक यूजफूल फीचर है लेकिन सिर्फ उन्ही के लिए जो इसका अक्सर यूज करने वाले है। इससे आप वन-टैप पेमेंट जैसे कई काम कर सकते है। लेकिन लगभग 80% लोग इसका कभी यूज नहीं करते। अगर आप इसका यूज करने वाले है तो ही इसे अपनी फीचर लिस्ट मे रखे नहीं तो इसे तुरंत इगनोर कर दे।
रिर्वस चार्जिंग
आजकल फ्लेगशिप फोन मे इसकी बहुत हाइप बनी हुई है। आप सोचिए आप एक महँगा फोन खरीदते है तो क्या आप उससे किसी दूसरे फोन को चार्ज करेंगे। अगर आप नहीं जानते तो मै आपको बता दूँ कि बैटरी मे साइकल होते है, आप इसे जितनी बार चार्ज करेंगे, जितनी बार डिस्चार्ज करेंगे, उतना ही आप उसकी बैटरी लाइफ कम करेंगे।
इससे अच्छा यह है कि आप एक थोड़ा सस्ता फोन ले लीजिये, और एक पावरबैंक खरीद लीजिये। उसकी कैपेसिटी आपके फोन से कई गुना अधिक भी होगी और वह सस्ता भी होगा।
Curved Display
यह एक दिखावटी तत्व के अलावा कुछ नहीं है। उल्टा इसके नुकसान अधिक है। इस डिस्प्ले के टूटने के चान्स एक नॉर्मल फ्लैट डिस्प्ले के टूटने से अधिक होते है। और अगर ये डिस्प्ले टूट गई, तो फ्लैट डिस्प्ले के मुक़ाबले ये काफी महंगी होती है।
कर्वड़ डिस्प्ले वाले फोनस के टेम्पर्ड ग्लास और कवर भी अधिक महंगे होते है। तो कर्वड़ डिस्प्ले के नाम पर आपको लौटने और बेवकूफ़ बनाने का प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
रैम
आजकल फोन मे 24GB तक रैम आ रही है जिसका यूज आप अपने जीवनकल मे कभी नहीं कर पाएंगे। 12GB से अधिक रैम एक नॉर्मल यूजर कभी भी यूज नहीं कर पाएगा, यहाँ तक कि एक प्रॉफेशनल गेमर भी नहीं कर पाएगा। तो इसीलिए अधिक रैम के बहाने आपसे अधिक पैसे लिए जा रहे है, और वो फालतू रैम आपको कभी यूज मे नहीं आएगी।