Sakat Chauth 2024 Moon Time: कल 29 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। प्रत्येक वर्ष महिलाए अपने बच्चो के अच्छे स्वास्थय और समृद्ध जीवन के लिए इस दिन निर्जला व्रत करती है।
Sakat Chauth 2024 Moon Time: पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सकट चौथ व्रत किया जाता है। इसे तिलकुटा चौथ, वक्रतुंडी चतुर्थी और संकष्टी चतुर्थी के नाम से भी जाना जाता है। संकष्टी चतुर्थी वैसे तो प्रत्येक महीने आती है, लेकिन माघ महीने मे पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी की महिमा सबसे अधिक है। 2024 मे कल 29 जनवरी को सकट चौथ का व्रत रखा जाएगा। इस दिन माताएँ अपने बच्चो के अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घ आयु के लिए निर्जला व्रत रखती है।
भगवान गणेश को ना चढ़ाये ये 5 चीजे
तुलसी का पत्ता: गणेश जी की पूजा मे तुलसी का उपयोग भूलकर भी ना करे। पौराणिक मान्यता ये है कि भगवान गणेश ने तुलसी के विवाह प्रस्ताव को मना कर दिया था, इसीलिए तुलसी ने गणेश को श्राप दिया था कि तुम्हारे दो विवाह होंगे। फिर भगवान गणेश ने भी तुलसी को श्राप दिया कि तुम्हारा विवाह राक्षस के साथ होगा। फिर बाद मे तुलसी जी को अपनी भूल का भान हुआ, इसीलिए गणेश जी की पूजा मे तुलसी वर्जित है।
खंडित चावल ना चढ़ाये: कई बार लोग पूजा मे उपयोग करने के लिए सस्ते के चक्कर मे टूटे हुये चावल ले आते है, लेकिन किसी भी देवी-देवता की पूजा मे खंडित चावल उपयोग नहीं करने चाहिए।
मुरझाए फूल-माला: गणेश जी को मुरझाई हुई माला या फूल अर्पित नहीं करने चाहिए। इससे परिवार के सदस्यो को धन की तंगी का सामना करना पढ़ सकता है।
केतकी के फूल: भगवान भोलेनाथ और गणेश जी की पूजा मे केतकी के फूल चढ़ना वर्जित है।
सफ़ेद चीजों का उपयोग ना करे: पौराणिक मान्यता के अनुसार गणेश जी को सफ़ेद रंग की वस्तुएं जैसे – सफ़ेद रंग के फूल, सफ़ेद चन्दन, सफ़ेद वस्त्र इत्यादि नहीं चढ़ाने चाहिए।
सकट चौथ व्रत का महत्व
सकट चौथ को शाम के समय भगवान गणेश और चंद्रदेव की पूजा का बहुत महत्व है। इससे घर मे सुख-समृद्धि आती है, संकटों से मुक्ति मिलती है, शरीर निरोगी होता है और घर मे खुशहाली आती है। आइये पहले हम बात करते है कि चतुर्थी तिथि कितने बजे से कितने बजे तक है और चंद्रोदय (Moon Time) कब होगा?
सकट चौथ के दिन चंद्रोदय का समय (Sakat Chauth 2024 Moon Time)
29 जनवरी को सकट चौथ के दिन रात 9 बजकर 10 मिनट पर चंद्रोदय (Sakat Chauth 2024 Moon Time) होगा।
चतुर्थी तिथि का समय
चतुर्थी तिथि प्रारंभ- 29 जनवरी को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से
चतुर्थी तिथि समापन- 30 जनवरी को सुबह 8 बजकर 54 मिनट तक
सकट चौथ की पूजा विधि (Sakat Chauth Puja Vidhi In Hindi)
सकट चौथ के दिन सुबह प्रात: काल जल्दी उठकर बिना कुछ खाये-पिए स्नान कर लेना चाहिए। लेकिन कुछ महिलाएं सुबह स्नान से पहले ही चाय पी लेती है, जो कि विद्वानो और ज्योतिषियो के अनुसार वर्जित है।
इसीलिए आपको चाय भी नहीं पीनी चाहिए। बिना स्नान के कुछ खाने या कुछ भी पीने से आपकी सात्विक्ता घटती है, और फिर आपको व्रत का पूरा फल नहीं मिलता। इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करना अति शुभ माना जाता है।
अत: स्नान के पश्चात लाल वस्त्र धारण करके, सिर पर कपड़ा रख के पवित्र हृदय से पूरी श्रद्धा के साथ पहले भगवान गणेश जी की आराधना करे, उसके बाद माता लक्ष्मी की आराधना करे।
दिनभर निर्जला व्रत रखने के बाद रात मे भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा आराधना के बाद चंद्रमा को अर्घ दे, और ऐसी कामना करे की आपकी संतान सदा निरोगी और समृद्ध रहे और अपने माता पिता की सेवा करते रहे।
सकट चौथ की कथा (Sakat Chauth Katha)
सकट चौथ के दिन ही भगवान गणेश को अपने जीवन के सबसे बड़े संकट से मुक्ति मिली थी, इसीलिए ही इस दिन को सकट चौथ के नाम से जाना जाता है। एक दिन माता पार्वती स्नान के लिए तो उन्होने द्वार पर गणेश जी को खड़ा कर दिया और आज्ञा दी कि किसी को भी अंदर ना जाने दिया जाए। कुछ समय बाद भगवान शिव वहाँ आए, तो गणेश जी ने उन्हे अंदर जाने से रोक दिया। भगवान शिव ने क्रोधवश त्रिशूल से गणेश का सिर धड़ से काट दिया। अपने पुत्र की चीख सुन माता पार्वती विलाप करते हुये बाहर आई और भगवान शिव से अपने पुत्र को पुन: जीवित करने की हट करने लगी। भगवान शिव ने कहा कि गणेश का सिर मेरे त्रिशूल से कटा है, तो यह सिर पुन: धड़ मे नहीं जुड़ सकता। लेकिन माता पार्वती के बहुत अधिक विलाप और हट करने पर भगवान शिव ने एक हाथी का सिर लेकर उसे गणेश के धड़ से जोड़ दिया।
इसी दिन से गणेश जी को गजनन्द कहा जाने लगा। इसी दिन गणेश जी को प्रथम पूज्य होने का गौरव प्राप्त हुआ। और इसी दिन ही भगवान गणेश को 33 कोटी देवी-देवताओ से आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
मान्यता यही है कि इस दिन एक माता के हट पर भगवान ने एक मृत व्यक्ति को भी जीवित कर दिया, तो इसीलिए अगर कोई माता इस दिन व्रत करती है तो भगवान उसकी संतान को निरोगी और समृद्ध रहने का आशीर्वाद देते है।