ना डाउनपेमेंट, ना ही लोन और ना ही मैंटेनेंस, कार खरीदने का ये तरीका क्या वाकई है शानदार, Lease Vs Second Hand

आजकल हर व्यक्ति कार खरीदना चाहता है, कुछ लोग कार की पूरी कीमत देकर कार खरीदते है और कुछ लोग कार को लोन पर खरीदते है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी है जो कार को डाउनपेमेंट, लोन, मैंटेनेंस और इन्शुरेंस की झंझट मे पड़े बगैर कार लेते है।

car on lease vs loan

आपको बता दे कि आजकल लोग कार को फूल-कैश और लोन पर लेने के अलावा एक तीसरे तरीके से भी खरीद रहे है और वो तरीका है कार को लीज पर लेना। कहने को ये तरीका उन लोगो के लिए अच्छा है जो अपनी कार से साल, दो साल के अंदर ही ऊब जाते है और फिर दूसरी कार लेने का मन उनका करता है। इस बात मे कितनी सच्चाई है ये भी हम आगे डीटेल मे जानेंगे।

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जैसे आप किसी भी सर्विस का सब्स्क्रिप्शन लेते हो जैसे मोबाइल रीचार्ज, टीवी रीचार्ज आदि। ऐसे ही इस तरीके मे आप कार का सब्स्क्रिप्शन लेते हो। इसके कुछ फायदे और नुकसान भी है जो आपको ध्यान मे रखने चाहिए।

लीज पर कार लेने के फायदे

  • लीज पर कार लेने के लिए आपको डाउनपेमेंट करने की जरूरत नहीं होती।
  • कार के मैंटेनेंस और रिपेर की चिंता आपको नहीं करनी है।
  • आप कांट्रैक्ट पूरा होने पर अपनी कार बदल सकते है।

लीज पर कार लेने के नुकसान

  • सबसे बड़ा नुकसान ये है कि आप कार के मालिक नहीं है।
  • लीज पीरियड पूरा होने पर आपको कार लोटानी होगी और आपको कुछ नहीं मिलेगा।
  • अगर आपसे कार कहीं लग जाती है तो उसकी एक्सट्रा-फीस आपको देनी पढ़ सकती है।
  • आपको कांट्रैक्ट के अनुसार एक निश्चित किलोमीटर तक ही कार चला सकते है, उससे अधिक चलाने पर आपको एक्सट्रा-पेमेंट करनी पड़ सकती है।
  • लीज पर आपको पुरानी कार ही मिलती है, तो वो नई कार वाली फीलिंग आपको नहीं आएगी।

क्या है बेहतर विकल्प? (Lease vs Second Hand)

अगर आप नई कार खरीदते है तो लगभग 2 से 3 साल के अंदर उसकी कीमत आधी ही रह जाती है। मान लीजिये आपने अभी एक 10 लाख की कार खरीदी है और अगर 3 साल बाद आप इसे बेचने की सोचते हो तो इसकी कीमत 5 से 6 लाख ही मिलेगी, वो भी तब अगर आपने अपनी गाड़ी अच्छी मैंटेन कर रखी है। और बाकी ये कार – टु – कार डिपेंड करता है, लेकिन एव्रेज मैंने आपको बता दिया।

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अगर आप Swift Vxi के 2018 मोडल को लीज पर खरीदते हो 2 साल के लिए तो आपको लगभग 23,000 रुपए हर महीने फीस देनी होगी और इसमे आप गाड़ी को सालाना 10,000 किलोमीटर ही चला सकते हो। वहीं अगर आप सेम गाड़ी को सेकंड-हैंड खरीदते हो तो वो आपको अच्छी-कंडिशन मे लगभग 4 लाख मे मिल जाएगी।

अगर आप इसे 2 साल के 10% ब्याज वाले लोन पर भी खरीदते हो तो भी ये आपको जीरों डाउनपेमेंट के साथ लगभग 18,000 रुपए की EMI पर मिल जाएगी। कुल कीमत यहाँ पर 4,40,000 रुपए आ रही है। 2 साल का इन्शुरेंस लगभग 35,000 रुपेय और 20,000 किलोमीटर मे 2 सर्विस होंगी तो लगभग 10,000 इसके। कुल 4,85,000 रुपए की आपको गाड़ी पड़ेगी 2 साल मे।

और अगर आप इसी सेम 2018 मोडल Swift vxi को लीज पर लेते हो तो 2 साल मे आपको लगभग 5,50,000 रुपए की फीस देनी होगी और गलती से गाड़ी कहीं लग जाती है तो वो फीस अलग है।

तो यहाँ पे आप सीधे तौर पर देख पा रहे होंगे कि लीज पर आपको कीमत अधिक देनी पड़ रही है और जबकि गाड़ी के मालिक आप हो भी नहीं मतलब आप आगे चलकर इसे बेच भी नहीं सकते।

वही अगर आप सेकंड-हैंड कार की तरफ जाते हो और जीरो डाउनपेमेंट पर गाड़ी खरीदते हो तो इन्शुरेंस और सेर्विस सब कुछ मिलकर भी आपको गाड़ी लगभग 65,000 सस्ती पड़ रही है और सबसे बड़ा फायदा ये है कि आप इस गाड़ी के मालिक हो, अर्थात आप इसे बेचना चाहो तो बेच सकते हो।

मान लीजिये कि आपका गाड़ी बदलने का मन किया और आप गाड़ी बेचने का मन बना लेते हो तो 2 साल बाद यही सेम गाड़ी अर्थात Swift Vxi 2018 लगभग 3 लाख की बिक भी जाएगी तो कुल कीमत मे से 3 लाख और कम कर दो आप। कुल 1 लाख 85 हजार का खर्च आपको आएगा 2 साल गाड़ी रखने मे। और इन दोनों ही कंपेरिजन मे हमने पेट्रोल खर्च नहीं जोड़ा है तो वो अलग है।

तो सीधे तौर आप देख सकते है कि लीज के मुक़ाबले सेकंड-हैंड कार आपको कितनी पॉकेट-फ्रेंडली पड़ती है। लेकिन फिर भी कुछ लोग लीज पर कार लेने के झांसे मे आ जाते है और कांट्रैक्ट मे फंस जाते है, लेकिन हमने आपको पूरा डीटेल मे कम्पेरिजन करके बताने की कोशिश की है कि कोनसा विकल्प बेहतर है, बाकी चॉइस तो आप ही की है।

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